आचार्य श्रीराम शर्मा >> विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाएँ विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाएँ
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संगठित प्रयास की आवश्यकता
जन्मदिन मनाने के लिए युग निर्माण शाखायें अपनी जो तीन या पाँच सदस्यों की समितियों बनावें, उन्हीं को जन्म दिवसीत्सव की तरह क्यिाह दिवसीत्सव मनाने का काम हाथ में लेना चाहिए। जो अधिक झेंपू हों, उन्हें छोड़कर कुछ उत्साही एवं प्रगतिशील लोगों को इसके लिए तैयार करना चाहिए। हर महीने एक उत्सव भी इस प्रकार का मनाया जाने लगे और एक वर्ष तक यह क्रम चलता रहे तो झेंपू लोग भी अपनी झिझक एवं संकोच की निरर्थकता समझ जायेंगे और वे भी इस उत्सब के आधार पर मिल सकने वाले लाभों से लाभान्वित होने के लिए प्रस्तुत दिखाई दो।
जन्म दिवसोत्सव की तरह ही सारी तैयारी करनी होती हैं। उसी तरह तारीखें नोट करना, नियत तिथि पर हवन आदि की तैयारी, मण्डप वेदी आदि को सुसज्जित, मित्र परिचितों एवं शाखा सदस्यों को आमंत्रण अतिथियों का सस्ता आतिथ्य आदि सब कुछ उसी ढंग से होगा। पूजा स्थान पर पति-पत्नी दोनों जन्मदिन की भांति ही बैठेगे। पति वस्त्र धारण करना जन्मदिन पर उतना आवस्थक नहीं था, पर विवाह के दिन पर तो यदि बहुत अड़चन न हो तो दोनों को पतिवस्त्र ही धारण करने चाहिए। विवाह पर भी बार-वधू के वस्त्रों में कुछ विशेषता-स्वनिता रहती हं। इस अवसर पर भी रहे तो अच्छा है। मन्त्रोच्चार के लिए अधिकाधिक लोगों के हाथों में पुस्तकें रहें और जो भी ठीक तरह उन्हें पड़ या बोल सकें उन्हें एक लय, एक स्वर एवं काठ में साथ-साथ उच्चारण करना चाहिए। इन उच्चारण-कर्त्ताओं को दूसरों का संस्कार कर सकने की ट्रेनिंग इस प्रकार होती चलेगी।
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- विवाह प्रगति में सहायक
- नये समाज का नया निर्माण
- विकृतियों का समाधान
- क्षोभ को उल्लास में बदलें
- विवाह संस्कार की महत्ता
- मंगल पर्व की जयन्ती
- परम्परा प्रचलन
- संकोच अनावश्यक
- संगठित प्रयास की आवश्यकता
- पाँच विशेष कृत्य
- ग्रन्थि बन्धन
- पाणिग्रहण
- सप्तपदी
- सुमंगली
- व्रत धारण की आवश्यकता
- यह तथ्य ध्यान में रखें
- नया उल्लास, नया आरम्भ